ऐवा का भूत........
अंग्रेज अधिकारी की बीवी देखने में बहुत खूबसूरत थी... ऐसा हमने सुना था। और उसी ऐवा के लिए उस अधिकारी ने बनाया था ऐवा लॉज। और इसी ऐवालॉज में हम रहते थे...। मैंने शिमला यूनिवर्सिटी में कदम ही रखा था...। बरसात का महीना था... मुझे एक नम्बर कमरा मिल चुका था...। दरअसल हमरे यहां भूत बरसात और सर्दियों के मौसम में ख़ासे एक्टिव रहते हैं...। बरसात में इस लिए क्योंकि शिमला में बरसात के दिनों में खूब धुंध पड़ती है और रात के अंधेरे में रोशनी के बीच यही धुंध कुछ डरावनी भी लगती है...।
एक दिन मैं हॉस्टल में हीटर के पास अपने कुछ सीनियर्स के साथ बैठा था...। देश की राजनीति पर चर्चा चल रही थी...। वक्त करीब रात के दो बजे के आसपास रहा होगा....। हॉस्टल के कुछ छात्र भागते हुए आए और कहने लगे कि उन्होंने सफेद कपड़ों में ऐवा को देखा...। दरअसल सालों से ये किस्सा हॉस्टल में चल रहा था कि ऐवा की आत्मा यहां आती है..। बस फिर क्या था, एक बार फिर शुरु हुआ ऐवा के किस्सों का दौर...। कई किस्से सुने...। मैं उन दिनों एमबीए फर्स्ट समेस्टर में पढ़ता था..। सुबह यूनिवर्सिटी आया और अपनी क्लास की लड़कियों को ऐवा के नाम पर खूब डराया..।
धीऱे-धीरे हमने ऐवा के भूत को चर्चाओं में इस कदर जगा दिया कि शनिवार के दिन एक जाने-माने अंग्रेज़ी अख़बार के पत्रकार महोदय यहां पहुंच गए...। फिर क्या था हॉस्टल का हर छात्र बोल पड़ा हमने भी ऐवा को देखा है...। बस, एक हफ्ते बाद रविवार के दिन उस अंगेजी अख़बार में ऐवा के भूत पर एक स्टोरी छप गई...। हम सब बड़े खुश हुए... लेकिन ऐवा के भूत ने हमें बड़ा फायदा दिया...। हुआ यूं कि हमारा हॉस्टल रिहायशी इलाके के नज़दीक था...। एक सिख परिवार हॉस्टल में मेरे पास आया और उन्होंने कहा कि हमें अखण्ड पाठ करवाना है और इसके लिए चार दिनों तक आपका टीटी रूम चाहिए...। पहले तो मैने मना कर दिया फिर उन्होंने कहा कि पाठ के आखिरी दिन हम डिनर भी देंगें...। तो मैंने तपाक से हां कर दी...। टीटी रूम से टीटी टेबल हटा दिया गया...।
इससे पहले कि पाठ शुरु होता... दूसरे ही दिन ये खबर यूनिवर्सिटी एड्मनिस्ट्रेशन को पता चल गई...। वार्डन साहब को बुलाया गया जिनका हॉस्टल में आना एक तरह से प्रतिबंधित था...। उन्होंने गेंद मेरे पाले में डाल दी....मै अपने कुछ साथियों के साथ चीफ वार्डन के पास पहुंचा....। चीफ वार्डन ने हमें देखकर यही कहा... क्यों मेरी नौकरी के पीछे पड़े हो? हमें बहुत बुरा लगा.. बात वीसी तक पहुंच गई... हमें लगा कि हमारा डिनर भी गया और पड़ोस में जो फजीहत होगी वो अलग...। लेकिन तभी हमें ऐवा के भूत की याद आ गई...। हमने अगले ही दिन एक प्रेस नोट जारी किया कि हॉस्टल में ऐवा का भूत लड़कों को परेशान कर रहा है... इसलिए ऐवालॉज हॉस्टल के छात्र पाठ करवा रहे हैं...। ख़बर अख़बार में छपी और सबके मुहं बंद हो गए....। पाठ खत्म हुआ और ऐवा के भूत की वजह से हमने कई दिनों बाद लजीज़ खाना खाया.......
7 comments:
ऐसे भूत सबको मिलें...
ऐवा का भूत तो आपके लिए सिद्ध निकला...जय हो!!
jay ho
इससे हमें सबक मिलता कि भूत से हमें क्या क्या लाभ है!! भूत हम जैसे फकीरों को दाना पानी देता है....पड़ोसियों में धाक ज़माने का मौका देता है.......और अपनी दादागिरी चलने का सोलिड मौका. काश कि दफ्तर में भी भूतों का राज हो...................और फिर...........................................................!!!
ऐवा ने तो कमाल ही कर दिया, जो नहीं है वो भी कमाल कर रहा है
बहुत खूब .....रोहित जी आपका एव लाज भूत किस्सा पढ़ा .....काफी दिलचस्प लगा .....!!
होस्टल वालों को अच्छे खाने की कमी हमेशा महसूस होती रही है ......और इस खाने की लालसा में कई रोमांचक किस्से होते रहे हैं .....बहरहाल आपका किस्सा रोचक लगा ....शुक्रिया .......!!
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